रजत अपने बगीचे में आरामकुर्सी पर बैठा हुआ था .रविवार की संध्या थी तभी उसका बारह वर्षीय बेटा सूरज दौड़ता हुआ उसके पास आया और पीछे -पीछे रजत की पंद्रह वर्षीय बेटी नीरू भी वहां आ पहुंची .नीरू ने हँसते हुए पूछा -''डैडी जब पहली बार आपने मुझे गोद में लिया तब आपने क्या सोचा था ?'' रजत मुस्कुराते हुए बोला -'' तुम्हे गोद में लेते ही मेरे मन में विचार आया था कि एक दिन मेरी ये छोटी सी गुड़िया शादी कर किसी और घर चली जाएगी और मेरी आँखें नम हो गयी थी !'' रजत की इस बात पर सूरज रौबले स्वर में बोला -'' डैडी फिर तो जब आपने मुझे गोद में सबसे पहली बार लिया होगा तो आपके होंठों पर मुस्कान आ गयी होगी क्योंकि मैं तो हमेशा आपके साथ रहूंगा ..मैं आपका बेटा हूँ ना !'' रजत सूरज के ये कहने पर गंभीर स्वर में बोला -'' नहीं बेटा ..तुम्हें जब मैंने अपनी गोद में सबसे पहली बार लिया तब मेरी आँखों में आंसू भर आये .तुम्हारे दादा जी और दादी जी का चेहरा आँखों के सामने घूमने लगा जो मुझसे दूर गांव में थे .मेरे मन में आया कि कहीं मेरे बेटे ने भी बड़े होकर मुझे और अपनी माँ को उसी तरह भुला दिया जैसे मैंने अपने माता-पिता को भुला दिया तब मैं कैसे सहन कर पाउँगा ये सब !'' ये कहते-कहते रजत की आँखें फिर से भर आई और सूरज घुटनों के बल बैठते हुए रजत का हाथ अपने हाथ में लेता हुआ बोला -'' नो डैडी ..आई शैल नेवर डू दिस !
शिखा कौशिक 'नूतन'
3 टिप्पणियां:
nice inspiration has given by your story .thanks
साधू साधू
उड़ना सीखने के बाद कौन घोंसले में टिकता है, आकाश नापने का चाव नई पीढ़ी में होना बहुत स्वाभाविक है 1
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